जैव प्रौद्योगिकी उद्योग अनुसंधान सहायता परिषद (बाइरैक), भारत सरकार के बायोटेक्नोलॉजी विभाग (डीबीटी) की धारा 8, अनुसूची ख द्वारा स्थापित सार्वजनिक क्षेत्र का गैर-लाभकारी उद्यम है। इसे भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर आवश्यक उत्पाद बनाने की दिशा में हेतु रणनीतिक अनुसंधान और इनोवेशन के लिए इंटरफ़ेस एजेंसी के रूप में स्थापित किया है।
बाइरैक, उद्योग-शिक्षा जगत का ऐसा इंटरफेस है, जो अपने अधिदेश को व्यापक प्रभाव वाले कार्यों द्वारा लागू करता है, जिसमें टार्गेटिड फ़ंडिंग, टेक्नोलॉजी का आदान-प्रदान, बौद्धिक सम्पदा प्रबंधन और समर्थन प्राप्त योजनाओं की मदद से उत्कृष्ट रिटर्न उत्पन्न करने के अवसर प्राप्त होते हैं। इससे बायोटेक कंपनियों को उत्कृष्ट इनोवेशन करने और उन्हें विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने में मदद मिलती है। अपने आठ साल के इतिहास में, बाइरैक ने कई योजनाओं, नेटवर्क और प्लेटफार्मों की शुरुआत की है जो उद्योग-शिक्षा नवाचार अनुसंधान में मौजूदा अंतराल को कम करने में मदद करती हैं और अत्याधुनिक तकनीकों के माध्यम से नवीन, उच्च गुणवत्ता वाले किफायती उत्पादों के विकास की सुविधा प्रदान करती हैं। बाइरैक ने अपने अधिदेश की मुख्य विशेषताओं पर मिलकर काम करने और उसे पूरा करने के लिए कई राष्ट्रीय और वैश्विक साझेदारों के साथ भागीदारी शुरू की है।
अवलोकन (Vision)
“भारतीय जैव प्रौद्योगिकी उद्योग, विशेष रूप से स्टार्टअप और एसएमई की रणनीतिक अनुसंधान और इनोवेशन क्षमताओं को प्रोत्साहन, समर्थन और उन्नति की ओर बढ़ाना, ताकि समाज की अधिकांश आवश्यकताएँ पूरी करने वाले किफ़ायती उत्पाद तैयार किए जा सकें।“
प्रमुख रणनीतियाँ
इनोवेशन और उद्यमिता को प्रोत्साहित करना
मुख्य सामाजिक क्षेत्रों में किफायती इनोवेशन को बढ़ावा देना
स्टार्ट-अप्स और छोटे एवं मध्यम उद्यमों को सशक्त बनाना
क्षमता बढ़ाने और इनोवेशन के प्रसार हेतु भागीदारों के ज़रिए योगदान करना
खोज के व्यावसायीकरण को सक्षम बनाना
भारतीय उद्यमों की वैश्विक प्रतिस्पर्धा को सुनिश्चित करना
बाइरैक के मूल मंत्र (Core Values)
• सत्यनिष्ठा
• पारदर्शिता
• आपसी सहयोग
• उत्कृष्टता
• प्रतिबद्धता
बाइरैक का लक्ष्य भारत की 100 बिलियन डॉलर की जैव-अर्थव्यवस्था के निर्माण में परिवर्तनकारी और उत्प्रेरक भूमिका निभाना है। हमारा मत है कि भारत की जैव-अर्थव्यवस्था के निर्माण में बदलाव का माध्यम बायोटेक स्टार्ट-अप और छोटे और मध्यम आकार के उद्यम (एसएमई) होंगे। इसलिए, हम उनकी क्षमताओं को बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करते हैं।